अलग झारखंड राज्य के आंदोलन में जेल जा चुके बनबिहारी महतो सब्जियों की खेती से बनाई अलग पहचान

अलग झारखंड राज्य के आंदोलन में जेल जा चुके बनबिहारी महतो सब्जियों की खेती से बनाई अलग पहचान


तकनीक का मिला साथ तो लीज पर जमीन लेकर खेती कार्य को दिया विस्तार

Jamshedpur: अलग झारखंड राज्य के आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले जमशेदपुर सदर प्रखंड की बड़ाबांकी पंचायत के पीपला ग्राम निवासी बनबिहारी महतो क्षेत्र में इन दिनों प्रगतिशील किसान के रूप में जाने जाते हैं। बनबिहारी महतो बताते हैं कि 1987 में 19 नवंबर को प्रथम झारखंड बंद कार्यक्रम के दौरान पुलिस द्वारा उनकी पिटाई करते हुए अन्य साथियों के साथ उन्हें भी जेल भेजा गया था। वे जेल से लौटने के बाद आंदोलन में और भी अधिक सक्रियता दिखाते हुए कई केस खाये। लेकिन दुर्भाग्य है कि जेल और थाना में उनका कोई कागजात नहीं मिल पाने की वजह से उन्हें सरकार की ओर से पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। वे आजसू पार्टी के जिला सचिव समेत कई प्रमुख पदों पर भी काम कर चुके हैं। पिछले कई वर्षों से अब सब्जियों की खेती कर रहे हैं जिससे उनकी एक अलग पहचान बन चुकी है। बनबिहारी महतो का पुस्तैनी जमीन लगभग 3 एकड़ है। सिंचाई का उचित साधन एवं उन्नत तकनीक की जानकारी नहीं होने के कारण सिर्फ खरीफ मौसम में धान के अलावा अन्य कोई बागवानी फसल का खेती नहीं के बराबर कर पाते थे। मैट्रिक तक पढ़े बनबिहारी महतो खेती-किसानी में नए प्रयोग कर अपने आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए हमेशा लालायित रहे जिसमें इनको कृषि विभाग का भरपूर साथ मिला।

बनबिहारी महतो ने शुरूआती दिनों में अपने परिवार के साथ मेहनत कर नर्सरी तैयार किये एवं छोटे स्तर पर साग-सब्जी की खेती शुरू किया। वर्तमान में पंरपारिक विधि को छोड़कर नई तकनीक का प्रयोग कर खेती-किसानी कर रहे हैं। अपने पुस्तैनी जमीन पर तो खेती करते ही हैं साथ ही नजदीकी गांव के अन्य किसानों का लगभग 5 एकड़ जमीन लीज में लेकर उसमें सब्जी खेती कर रहे हैं। इनके द्वारा गोभी, पपीता, ग्राफ्टिंग विधि से बैगन और टमाटर की खेती किया जा रहा है। बिचड़ा उत्पादन के लिए नर्सरी भी बनाया है। इसके साथ-साथ बतख पालन भी कर रहे हैं।

कृषि विभागीय योजना का लाभ एवं तकनीकी सहयोग से आर्थिक स्थिति को किया सुदृढ़, सालाना 3-3.5 लाख रूपए कर रहे आय

बनबिहारी महतो को कृषि विभाग से टपक सिंचाई एवं उद्यान विभाग से शेडनेट प्राप्त है। जिला कृषि कार्यालय, पूर्वी सिंहभूम से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अन्तर्गत ड्रिप इरीगेशन के लिए सहयोग प्रदान किया गया। टपक सिंचाई की इस संरचना से पौधों में सिंचाई करने में बहुत ही कम पानी का खपत होता है, इससे पानी, खाद एवं मजदूरी का खपत बिल्कुल कम हो जाता है। तकनीकी सहयोग के लिए हमेशा जिला के कृषि कार्यालय एवं आत्मा के संपर्क में रहकर तकनीकी मार्गदर्शन एवं सहयोग लेते हैं। आज बनबिहारी आधुनिक विधि से न केवल नर्सरी में पौधा तैयार कर रहें है बल्कि अन्य किसानों को पौधा बेचकर उससे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।

बनबिहारी महतो 5 एकड़ की जमीन में मल्चिंग विधि से टमाटर, नेनुआ, खीरा एवं ग्राफ्टेड बैगन की खेती कर रहे हैं। ग्राफ्टेड बैगन जो कि आधे से एक किलो तक फलते हैं एवं बैगन का पौधा 7-8 फीट ऊंचा होता है और लगातार दो वर्ष तक फल देता है। एक-एक पौधा से 22-25 किलो बैगन निकलता है। उन्होंने विगत रबी के मौसम में गोभी का बम्पर उत्पादन किया जिसे बाजार में 60 रूपये किलो बेचकर अचछा मुनाफा कमाया। उत्पादित सब्जी को स्थानीय बाजार एवं जमशेदपुर शहर में बिक्री करते हैं जिससे उनका लगभग तीन से साढ़े लाख रूपये सलाना खेती-किसानी से आय होता है।

अपने आप को पहचानें, रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में भटकना नहीं पड़ेगा : बनबिहारी महतो
बनबिहारी महतो कहते हैं कि पलायन की समस्या हमारे क्षेत्र की सबसे बड़ी विडंबना है। लोग अपनी सूझबूझ से काम लें तो पलायन नहीं करना पड़ेगा बल्कि सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकते हैं। उन्होने बताया कि वर्तमान में 8-10 लोगों को दैनिक रूप से मजदूरी के लिए रखे है जिन्हें 6 से 7 हजार रूपये मजदूरी भुगतान किया जाता है। बनबिहारी महतो न केवल अपने खेतों में उन्नत तकनीक से खेती करते हैं बल्कि अपने आस-पास के अन्य किसानों को भी जागरूक कर खेती के प्रति प्रोत्साहित करते हैं। इनके खेतों में जिले के अन्य प्रखण्डों के किसान एवं अन्य जिला के किसान भी प्रक्षेत्र भ्रमण के लिए आते हैं एवं सराहना करते नहीं थकते। बनबिहारी महतो अपना अनुभव साझा कर सभी को तकनीक की सहायता लेकर खेती के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

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