संघर्ष के बल पर 3 इंजीनियर तैयार करने वाले झामुमो नेता अश्विनी कुमार महतो का ब्रेन हेमरेज से निधन, शोक की लहर

संघर्ष के बल पर 3 इंजीनियर तैयार करने वाले झामुमो नेता अश्विनी कुमार महतो का ब्रेन हेमरेज से निधन, शोक की लहर


अश्विनी कुमार महतो (फाइल फोटो)

Patamda : मैंने संघर्ष के बल पर अपने घर में 3-3 इंजीनियर तैयार किया है, गर्व से यह बात कहने वाले झामुमो के वरिष्ठ नेता अश्विनी कुमार महतो का 50 वर्ष की उम्र में रविवार को असामयिक निधन हो गया। वे पिछले करीब 9 दिनों पूर्व ब्रेन हेमरेज की वजह से अस्पताल में भर्ती कराये गये थे। रविवार को रिम्स अस्पताल, रांची में रात्रि करीब 8 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन की सूचना पर क्षेत्र में शोक की लहर है। बंगाल सीमा से सटे पटमदा प्रखंड के सामरजबड़ा गांव निवासी रहे अश्विनी बाबू के शव का सोमवार की सुबह गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके एकमात्र पुत्र ने मुखाग्नि दी। रिश्ते में उनके चाचा झामुमो के पूर्व जिला उपाध्यक्ष आनंदमय महतो का कहना है कि मेधावी छात्र रहे अश्विनी स्नातक (विज्ञान) की पढ़ाई कर चुके थे। उनके पिता एक साधारण किसान थे और वे गरीबी के कारण कठिनाइयों का सामना करते हुए जमशेदपुर में रहकर पढ़ाई पूरी की थी। उन्होंने जिंदगी में काफी संघर्ष किया और अपनी पहचान बनाई। वे शुरुआत के दिनों में रोजगार के लिए काटिन बाजार में कोचिंग सेंटर (आइडियल) खोलकर बच्चों को पढ़ाया करते थे। जबकि आदिवासी प्लस टू हाइस्कूल में भी मुफ्त में सेवा दे चुके हैं। यह सिलसिला करीब 4 सालों तक चलने के बाद स्थानीय एक व्यवसायी के पेट्रोल पंप में सुपरवाइजर का काम भी करने लगे थे। फिर 2002 में झामुमो से जुड़कर राजनीति शुरू की और शिक्षित होने के कारण तत्कालीन विधायक दुलाल भुईयां के करीबी बन गए। वे नौकरी करना नहीं चाहते थे और शुरू से ही सेवा काम में उनकी रुचि थी। खुद का स्थायी रोजगार नहीं होने की वजह से उन्होंने छोटे भाई कार्तिक महतो की पढ़ाई में पूरी मदद की। कार्तिक ने भी मन लगाकर पढ़ाई पूरी की और इंजीनियर बनकर बड़े भाई का सपना पूरा किया। इसके बाद कार्तिक ने नौकरी करते हुए बड़े भाई के बेटे व बेटियों की पढ़ाई का जिम्मा उठाया। मंझली बेटी को हाल ही में विशाखापत्तनम में नौकरी मिली है जबकि बड़ी बेटी भी इंजीनियर बन चुकी है। जबकि छोटी बेटी व एक बेटा राजस्थान के कोटा में रहकर मेडिकल की तैयारी कर रहे हैं। छोटे भाई कार्तिक द्वारा अपने साथ रखकर दो बेटियों को इंजीनियर की पढ़ाई कराने पर वे गर्व से लोगों को कहते थे कि मेरे घर में 3-3 इंजीनियर है। लेकिन सभी बच्चों को इंजीनियर व डॉक्टर बनाने का अधूरा सपना लिए वे अचानक सदा के लिए चल बसे।


एक कार्यक्रम के दौरान बहरागोड़ा के विधायक समीर महांती व स्थानीय नेताओं के साथ अश्विनी कुमार महतो (फाइल फोटो)

पत्नी को लड़ाया था जिला परिषद का चुनाव

अश्विनी कुमार महतो ने उनकी पत्नी कोकिला महतो को 2010 में राज्य में पहली बार हुए पंचायत चुनाव में जिला परिषद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ाया था जिसमें करीब 4 हजार वोट प्राप्त हुए थे।

अवैध खनन एवं परिवहन का विरोध करने पर एक साल पूर्व मिली थी जान से मारने की धमकी


अंतिम संस्कार में शामिल लोग

झामुमो में किसी पद पर नहीं होने के बावजूद पार्टी के जिला से लेकर केंद्रीय स्तर तक के नेताओं से अश्विनी महतो की अच्छी जान-पहचान थी। इसलिए वे क्षेत्र में अवैध तरीके से चलने वाले खनन एवं परिवहन समेत अन्य कार्यों का विरोध करते थे। यही वजह है कि करीब एक साल पूर्व उन्हें नक्सलियों के नाम पर पोस्टर साटकर जान से मारने की धमकी दी गई थी। इस मामले में अब तक कोई खुलासा नहीं सका है।

अश्विनी बाबू मिलनसार व स्पष्टवादी थे: जिला पार्षद

सोमवार को अंतिम संस्कार में सामरजबड़ा गांव पहुंचे पटमदा उत्तरी के जिला परिषद सदस्य खगेन चंद्र महतो ने कहा कि अश्विनी बाबू मिलनसार व स्पष्टवादी थे। वे भले ही सामने में किसी को कुछ बोल देते थे लेकिन वे दिल का बुरा नहीं थे। उनके असामयिक निधन से समाज को उनके परिवार के साथ-साथ समाज को अपूरणीय क्षति हुई है।

अंतिम दर्शन को उमड़े लोग, हर आंखें हुई नम

क्षेत्र के कई संगठनों से जुड़े रहे अश्विनी कुमार महतो का पार्थिव शरीर गांव पहुंचते ही लोगों की आंखें नम हो गई थी। उनका अंतिम दर्शन करने पहुंचे सैकड़ों लोगों ने श्रद्धांजलि दी। सुबह 10 बजे तक सामरजबड़ा गांव में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से जिला परिषद सदस्य खगेन चंद्र महतो, झामुमो नेता सुभाष कर्मकार, प्रखंड अध्यक्ष अश्विनी महतो, पूर्व अध्यक्ष समीर महतो, बीस सूत्री अध्यक्ष कालीपद महतो, आनंदमय महतो, फटीक महतो, भाजपा के जिला उपाध्यक्ष प्रदीप कुमार महतो, राष्ट्र शहीद सम्मान सम्मान समिति के अध्यक्ष छुटुलाल महतो, सचिव भीष्मनाथ महतो, प्रबोध कुमार महतो, आदित्य महतो, बनकुंचिया पंचायत के मुखिया गुरूचरण हेंब्रम एवं सुदीप महतो आदि शामिल हुए।

उनसे पढ़े कई छात्र बने हैं शिक्षक

आदिवासी प्लस टू हाई स्कूल बांगुड़दा में अश्विनी महतो के छात्र रहे कई पूर्व छात्र अब शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं । सोशल मीडिया पर सैकड़ों लोगों ने इस घटना पर दुःख व्यक्त करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी है।

झामुमो में एक बार प्रखंड अध्यक्ष व जिला उपाध्यक्ष रहे, दुबारा अध्यक्ष नहीं बन पाने का रहा मलाल

अश्विनी कुमार महतो 2007 से 2010 तक झामुमो के पटमदा प्रखंड अध्यक्ष रह चुके थे। जबकि एक बार झामुमो के पूर्वी सिंहभूम जिला उपाध्यक्ष भी बनाए गए थे। पूर्व मंत्री सह जुगसलाई से झामुमो के पूर्व विधायक दुलाल भुइयां का वे काफी करीबी नेताओं में गिने जाते थे। इसलिए भुइयां के सत्ता में रहते ब्लॉक, अंचल से लेकर थानों में खूब चलती थी। वे अन्याय व भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करते थे। 2009 में दुलाल भुइयां के चुनाव हारने व आजसू पार्टी से रामचंद्र सहिस के विधायक बनने पर उन्हें झटका लगा। करीब एक साल के बाद पूर्व मंत्री दुलाल भुइयां के साथ किसी बात को लेकर मतभेद हो गया। इसकी वजह से वे रामचंद्र सहिस के संपर्क रहने लगे। 2011 में बांगुड़दा में आयोजित कार्यक्रम के दौरान आजसू सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो के समक्ष आजसू पार्टी का दामन थाम लिया। इसके बाद वे सीधे सुदेश कुमार महतो व रामचंद्र सहिस के संपर्क में रहकर राजनीति करने लगे। हमेशा फ्रंट लाइन की राजनीति करने वाले अश्विनी को अपेक्षाकृत कम महत्व मिलना पसंद नहीं था। इससे वे पार्टी नेताओं से नाराज रहने लगे। करीब 2 वर्ष के अंदर आजसू पार्टी की नीति सिद्धांत उन्हें खराब लगने लगा और कुछ दिनों तक निष्क्रिय रहने के बाद 2014 में झामुमो प्रत्याशी मंगल कालिंदी (अब विधायक) के समक्ष काटिन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान झामुमो में वापसी की। लेकिन इस बीच उनकी एक गलती के कारण उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश हुई और उन्हें आजसू पार्टी की जिला कमेटी से शोकॉज नोटिस मिला। नोटिस में उल्लेख था कि आप बिना इस्तीफा दिये पार्टी के खिलाफ जाकर दूसरी पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं, जवाब दें। नोटिस के मुद्ये पर झामुमो के अंदर विरोध होने से वे चुनाव लड़ नहीं सके और उस चुनाव में सुभाष कर्मकार प्रखंड अध्यक्ष बने। पूर्वी सिंहभूम जिला कमेटी ने बाद में उन्हें जिला उपाध्यक्ष का पद देकर पार्टी में सक्रिय होने एवं संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी। 2019 में झामुमो से मंगल कालिंदी के विधायक बनने के बाद उन्होंने उनकी अनदेखी का आरोप लगाया और दोनों के बीच रिश्ते अच्छे नहीं रहे। संगठन में उनकी पकड़ होने की वजह से 2022 में फिर से अध्यक्ष बनने का प्रयास किया। लेकिन इस बार विधायक का समर्थन मुकरुडीह निवासी अश्विनी महतो पर होने की वजह से कुछ वोटों के अंतर से सामरजबड़ा निवासी को हार का सामना करना पड़ा। लगातार दो बार के प्रयास के बावजूद प्रखंड अध्यक्ष नहीं बन पाने का मलाल उन्हें रहा। उनके साथी बताते हैं कि राजनीतिक उपेक्षा का शिकार होने की वजह से वह नशे का आदी होने लगे थे और चिकित्सकों द्वारा खानपान में परहेज करने की सलाह के बावजूद ध्यान नहीं देने से अचानक उनका बीपी हाई हो गया और अंततः उसकी कीमत चुकानी पड़ी।

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