नहीं रहे रामकृष्ण मंदिर के निर्माणकर्ता बाबूलाल जी, शोक की लहर

नहीं रहे रामकृष्ण मंदिर के निर्माणकर्ता बाबूलाल जी, शोक की लहर


शवयात्रा में शामिल लोग

Patamda : पटमदा के लावा गांव निवासी रहे बाबूलाल जी उर्फ बाबूलाल पंडित ने 82 की उम्र में बुधवार की शाम करीब साढ़े 4 बजे अपने घर में ही अंतिम सांस ली। उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है। उनका अंतिम दर्शन में सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष पहुंचे और हरिनाम संकीर्तन के साथ गुरुवार को लावा गांव में शवयात्रा निकालने के बाद दोपहर तक भुईयांडीह स्थित बर्निंग घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया। वे पिछले कई माह से बीमार चल रहे थे और घर में रहकर ही इलाज करा रहे थे। वे अपने पीछे पत्नी, तीन पुत्रों एवं एक पुत्री समेत पोते-पोतियों का भरा पूरा संसार छोड़ गए हैं। वे मूल रूप से बिहार निवासी और बाबूलाल जी के नाम से प्रसिद्ध थे।


बाबूलाल जी (फाईल फोटो)

उन्होंने जिंदगी भर की कमाई को खर्च करते हुए गांव में 2010 में भव्य रामकृष्ण मंदिर की स्थापना की। शुरुआत में बेटों ने उनका साथ नहीं दिया। वे चाहते थे कि उनका पैसा सभी बेटों को मिले, मंदिर में भारी भरकम राशि खर्च करने की जरूरत नहीं है। लेकिन उनकी जिद थी कि वे अपने समाज और हिन्दू धर्म के लिए कुछ करेंगे। खासकर जब मंदिर में बजरंगबली, राम, लक्ष्मण, सीता और कृष्ण भगवान की मूर्ति स्थापित करने और मंदिर को सार्वजनिक घोषित करने की जानकारी ग्रामीणों को मिली तो उनके समर्थन में काफी लोग आ गए और उन्हें बल मिला। बाद में उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए बेटों ने भी उनका साथ दिया और लावा गांव में यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां प्रतिदिन सुबह-शाम भगवान की पूजा अर्चना होती है जिससे गांव का माहौल भक्तिमय बन जाता है।

इस संबंध में ग्राम प्रधान बृंदावन दास ने बताया कि बाबूलाल जी ने विभिन्न व्यवसायों से कड़े संघर्ष की बदौलत ही संपत्ति हासिल करते हुए करीब 20 लाख रुपए खर्च करके मंदिर बनवाकर ग्रामीणों को समर्पित किया। वे चाहते थे कि उनका नाम हमेशा रहे इसलिए वे मरकर भी हमेशा के लिए अमर हो गए। उनके दो पुत्रों विनोद व विजय का अपना व्यवसाय है जबकि छोटे अजय कुमार धलभुमगढ़ प्रखंड में मनरेगा बीपीओ हैं। उनके बड़े भाई नीमडीह प्रखंड के आदारडीह गांव में सपरिवार रहते हैं और वे सेवानिवृत्त शिक्षक हैं।

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