झारखंडी विचारधारा और मूल निवासी पहचान से ही व्यवस्था परिवर्तन संभव: मदन मोहन

झारखंडी विचारधारा और मूल निवासी पहचान से ही व्यवस्था परिवर्तन संभव: मदन मोहन

Jamshedpur : झारखंडी भाषा-भाषी मूल निवासी संघ का 13-14 जुलाई को दो दिवसीय सम्मेलन सह स्थापना दिवस नवाब कोटी घाटशिला में मनाया गया।

पहले दिन शहीदों को माल्यार्पण करते हुए कार्यक्रम शुरू किया गया। मौके पर संगठन के संदर्भ में विस्तृत रूप से विचार-विमर्श किया गया।संगठन का विस्तार करने के लिए विशेष योजना बनायी गयी। दूसरे दिन केंद्रीय कमेटी का पुनर्गठन भी किया गया। कमेटी में केंद्रीय अध्यक्ष संजय बेहरा, केंद्रीय महासचिव मुकेश कर्मकार, कोषाध्यक्ष सुनील बानसिंह, कोल्हान प्रमंडल संयोजक सूरज मुखी, पोटका प्रखंड प्रभारी सुखलाल सिंह, केंद्रीय प्रवक्ता रामचंद्र सोरेन को नियुक्त किया गया। संगठन को विस्तार करते हुए महेंद्र मुर्मू को मुख्य संरक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सह हाईकोर्ट रांची के अधिवक्ता मदन मोहन सोरेन को सलाहकार के रूप में रखा गया।

केंद्रीय अध्यक्ष संजय बेहरा ने एक वर्ष के दरम्यान संगठन की गतिविधि की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा आने वाले समय में संगठन को दिशा देने के संदर्भ में अपना विचार व्यक्त किया।

संगठन के मुख्य सलाहकार मदन मोहन सोरेन ने कहा कि झारखंडी विचारधारा और मूल निवासी पहचान से ही व्यवस्था परिवर्तन संभव है। हमें एकजुटता के साथ अपने हक और अधिकार मान-सम्मान तथा अपना अस्तित्व को बचाने की लड़ाई तेज करनी होगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में झारखंड के जल जंगल जमीन और खनिज संपदा का मूल मालिक बनने की दिशा में युवाओं को आगे बढ़ने की जरूरत है।

मुख्य संरक्षक महेंद्र मुर्मू ने कहा कि राज्य में स्थानीय नीति नहीं बनने की वजह से नौकरी और रोजगार के अवसर बाहरियों को मिल रहा है। इस अवसर पर विभिन्न गांवों के सैकड़ों महिला पुरूष शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन मुकेश कर्मकार और धन्यवाद ज्ञापन सुनील बानसिंह ने किया।

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