जैक की नीति के कारण हजारों छात्र रह जाएंगे बोर्ड परीक्षा से वंचित, बच्चों ने झारखंड एकेडमिक काउंसिल की इस नीति का शुरू किया विरोध
Jamshedpur: झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) की नई नीति के कारण हजारों विद्यार्थी बोर्ड परीक्षा से वंचित रह जाएंगे। दरअसल, जैक की ओर से निर्णय लिया गया है कि बोर्ड परीक्षा में तीन साल तक लगातार फेल होने वाले या तीन साल तक बोर्ड परीक्षा नहीं देने वाले विद्यार्थियों को इस बार परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा। उन्हें फॉर्म भरने का भी मौका नहीं दिया जाएगा।
जैक की ओर से जारी नीति के अनुसार, अब 9वीं अथवा 11वीं के बाद 3 वर्षों तक 10वीं या 12वीं कक्षा की परीक्षा नहीं दे पाने अथवा अनुत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को चौथे वर्ष में पुन: नौवीं अथवा 11वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। वे 10वीं एवं 12वीं कक्षा की परीक्षा में पांचवें वर्ष ही शामिल हो सकेंगे। झारखंड अधिविद्य परिषद के इस निर्णय से कोल्हान के करीब दो हजार विद्यार्थी इस बार बोर्ड परीक्षा से वंचित रह जाएंगे। विद्यार्थियों ने इस नीति में तत्काल प्रभाव से संशोधन करने की मांग की है।
झारखंड गैर सरकारी विद्यालय संघ के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद ताहिर हुसैन ने कहा कि स्वतंत्र छात्रों को भी अपना पंजीयन 9वीं अथवा 11वीं में करवाना पड़ता है। 9वीं एवं11वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करना पड़ता है, ऐसे में स्वतंत्र एवं नियमित छात्र में कोई अंतर नहीं बचता है। बस इतना ही अंतर देखने को मिलता है कि स्वतंत्र छात्रों को नियमित छात्रों की तुलना में 5 गुना अधिक शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। इसमें संशोधन आवश्यक है। स्वतंत्र छात्रों का पंजीयन एवं परीक्षा आवेदन प्रपत्र सीधे 10वीं अथवा 12वीं की परीक्षा के लिए होना चाहिए। उनके लिए 9वीं अथवा 11वीं की परीक्षा की बाध्यता को समाप्त कर देना चाहिए।
साक्षरता दर में वृद्धि के लिए राज्य सरकार करे पहल
तीन बार से 12वीं उत्तीर्ण करने की कोशिश कर रहे आकाश सोरेन ने फॉर्म न भर पाने पर कहा कि सरकार और झारखंड अधिविद्य परिषद का नियम बच्चों को निरक्षर रहने पर विवश कर रहा है। देश में ऐसा केवल झारखंड राज्य में ही हो रहा है। सरकार इसमें संशोधन करें, ताकि राज्य की साक्षर दर में वृद्धि हो सके। इस मामले में शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन से शिकायत भी की है। शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि सरकार छात्रों के हित में जल्द कोई निर्णय लेगी।