21वीं सदी में शिक्षा के क्षेत्र में नई चुनौतियों और अवसरों का सामना करने के लिए हमें नए और नवाचारी तरीकों को अपनाना होगा : डॉ. वंश
Jamshedpur : 21वीं सदी में शिक्षा के क्षेत्र में नई चुनौतियों और अवसरों का सामना करने के लिए हमें नए और नवाचारी तरीकों को अपनाना होगा। यह बातें बुधवार को 21वीं सदी में शिक्षा: चुनौतियां और अवसर विषय पर बुधवार को एमबीएनएस इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन, आसनबनी के तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि सुन्दरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी, छत्तीसगढ़ के कुलपति डॉ. वंश गोपाल सिंह ने कहीं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग करके हम छात्रों को अधिक प्रभावी ढंग से शिक्षित कर सकते हैं। यह आयोजन संस्थान के सभागार में संपन्न हुआ।
विशिष्ट अतिथि डॉ. राजीव कुमार मल्लिक (प्रो. कुलपति, मानविकी संकाय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना) ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हमें छात्रों को न केवल ज्ञान प्रदान करना चाहिए, बल्कि उन्हें जीवन के कौशलों से भी लैस करना चाहिए। 21वीं सदी में शिक्षा के क्षेत्र में हमें अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए छात्रों को आत्मनिर्भर और रचनात्मक बनाने पर।
डॉ. लक्ष्मीधर पांडा (सहायक प्रोफेसर, शिक्षा शास्त्री विभाग, श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, पुरी, ओड़िशा) ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हमें छात्रों को संस्कृति और मूल्यों के बारे में भी शिक्षित करना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में हमें छात्रों को अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए उनकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं और रुचियों पर।