माझी परगना महाल ने मंत्री रामदास सोरेन से की गौ हत्या निषेध कानून को खत्म करने व मॉब लिंचिंग कानून में संशोधन की मांग
Patamda: माझी परगना महाल बारहा दिशोम की ओर से शुक्रवार को पटमदा के डाक बंगला मैदान में आयोजित एक दिवसीय सामाजिक सम्मेलन के दौरान बतौर मुख्य अतिथि शामिल राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन को देश परगना ललित मुर्मू ने 17 सूत्री एक मांग पत्र सौंपा है। इसमें मुख्य रूप से राज्य में लागू गौ हत्या निषेध अधिनियम 2005 को खत्म करने एवं मॉब लिंचिंग (भीड़ हिंसा) कानून में संशोधन करने की मांगें भी शामिल हैं। इस संबंध में कहा गया है कि आदिवासी समाज आदि काल से ही अपने सामाजिक रीति-रिवाज, पूजा-पद्धति, धर्म, भाषा संस्कृति, जल, जंगल, जमीन तथा परंपरा का निर्वाह करते हुए अस्तित्व पहचान को स्थापित किया है, सदियों से पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के तहत संचालित होते हैं तथा वर्तमान में भारत के संविधान में आदिवासियों को प्रदत्त संवैधानिक अधिकार जिसमें आदिवासियों के नियंत्रण, प्रशासन एवं उन्नति और कल्याण को अधिकार प्राप्त है जो वर्तमान में इन सभी व्यवस्था तथा संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन हो रहा है जिससे आदिवासियों का अस्तित्व व पहचान खतरे में है, ऐसी स्थिति में अगर आदिवासियों के सामाजिक रीति-रिवाज, पूजा-पद्धति, धर्म, भाषा, संस्कृति, जल, जंगल, जमीन, परंपरा तथा संविधान प्रदत्त अधिकारों का संरक्षण नहीं किया जाता है तो आदिवासियों का नामोनिशान समाप्त हो जाएगा। माझी पारगाना माहाल (पारम्परिक स्वशासन व्यवस्था) को आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि नीचे दिए गए मांगों पर न्याय पूर्वक उचित पहल करते हुए मांगों को पूरा कर आदिवासियों के अस्तित्व पहचान को कायम रखते हुए समाज का सर्वांगीन विकास करेंगे।
मांगें निम्नलिखित हैं :-
1. झारखण्ड राज्य का स्थानीय नीति जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हुए अंतिम सर्वे सेटेलमेंट (खतियान) के आधार पर बने तथा नियोजन नीति पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में प्रखण्ड स्तर पर बनाया जाए।
2. संताली भाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है इसलिए संताली भाषा को झारखण्ड में प्रथम राज भाषा का दर्जा दिया जाए।
3. आगामी आम जनगणना में सरना धर्म कॉलम कोड को अंकित करने के लिए सरकार उचित पहल करें।
4. ‘‘लैंड पूल’’ कानून से CNT/SPT कानून का घोर उल्लंघन हो रहा है तथा ‘‘लैंड बैंक’’ कानून से ग्राम सभा के सार्वजनिक स्थानों जमीनों को ग्राम सभा से छीना जा रहा है, इसलिए दोनों कानून को अविलंब निरस्त करें।
5. झारखण्ड राज्य के विकास में TAC का विशेष महत्व है इसलिए TAC चेयरमैन आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के अगुआ (परगना माझी मानकी मुंडा पहड़ा राजा) को दिया जाना सुनिश्चित किया जाए।
6. पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था संचालित है इसलिए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नहीं कराया जाए तथा ग्राम सभा को सशक्त करते हुए छठी अनुसूची की तर्ज पर क्षेत्र के विकास के लिए नियमावली बनें।
7. झारखण्ड राज्य में विस्थापन एवं पुनर्वास नीति को प्रभावी ढंग से झारखण्ड के हित में अविलंब तैयार कर सख्ती से लागू किया जाए।
8. झारखण्ड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भीड़ द्वारा हत्या के मामले में जो मॉब लिंचिंग कानून (बिल) पारित हुआ है इसका हम स्वागत करते हैं मगर उसी कानून में अध्याय 1 का कड़ी 2 के परिभाषा के क्रम संख्या IV सबक्लॉज ‘क’ से ‘च’ तक जो परिभाषा दिए गए हैं उसमें सामाजिक बहिष्कार जैसे पारंपरिक न्याय प्रक्रिया को भी आपराधिक कृत्य में परिभाषित किया गया है। जिससे आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था का न्यायपालिका (विचार व्यवस्था) को आघात पहुंचाता है या समाज व्यवस्था के नियंत्रण प्रशासन को प्रभावित करता है इसलिए उसे संशोधित किया जाए तथा सामाजिक पारंपरिक न्याय सामाजिक बहिष्कार को आपराधिक कृत्य सूची से हटाया जाय।
9. संथाली भाषा का ओलचिकी लिपि से प्राथमिक विद्यालय से विश्वविद्यालय तक पढ़ाई आरंभ किया जाए तथा संथाली शिक्षकों की बहाली की जाए।
10. गौ हत्या निषेध अधिनियम 2005 से जनजाति समुदाय की पूजा-पद्धति एवं धार्मिक आस्था पर ठेस पहंचाता है तथा स्वरूचि भोजन को प्रभावित करता है, इस कानून को अविलंब निरस्त किया जाए।
11. भारतीय संविधान में प्रदत्त पांचवीं अनुसूची के अधिकारों को सख्ती से राज्य के पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में लागू करें ताकि ‘‘ग्राम सभा’’ के अधिकारों का हनन/उल्लंघन करना बंद हो।
12. पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में जनजाति भाषा संस्कृति रीति-रिवाज तथा पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को जानने वाले प्रशासनिक पदाधिकारियों को ही बहाल किया जाए।
13. संताली भाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज है, इसलिए संताली भाषा के विकास के लिए संताल साहित्य अकादमी और बोर्ड का गठन अलग से झारखण्ड राज्य में किया जाए।
14. जनजाति समुदाय के जाहेरथान, देशाउली, सारना, मासना, माण घाटी, गोट टांड़ी आदि सार्वजनिक स्थल जिसका प्लॉट खतियान में दर्ज नहीं है, घेराबंदी कर संरक्षित करने में समस्या होती है इसलिए इन सभी सार्वजनिक स्थलों का पट्टा दिया जाए।
15. मनरेगा योजना का सामाजिक अंकेक्षण वर्तमान में एनजीओ के द्वारा किया जाता है जो गलत है, इसका अंकेक्षण ग्राम सभा के द्वारा कराया जाए।
16. झारखण्ड राज्य में नियुक्त सभी पदाधिकारी और शिक्षकों को 9 क्षेत्रीय भाषा का ज्ञान अनिवार्य किया जाए तथा शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त किया जाए ताकि वे बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान कर सके।
17. वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम (FCCA) 2023, अंतिम वन मंजूरी से पहले बस्ती स्तर की ग्राम सभाओं से सहमति प्राप्त करने की आवश्यकता को भी समाप्त कर देता है। इस कानून को झारखण्ड को लागू ना करे।