एमजीएम अस्पताल : एजेंसी बदली तो 108 एंबुलेंस को नहीं मिल रही ऑक्सीजन, मरीजों को 5 हजार देकर निजी एंबुलेंस से जाना पड़ रहा है रिम्स
Jamshedpur : बाराद्वारी निवासी शहनाज बानो की बहन रजिया खातून को सिर में चोट लगने के कारण एमजीएम अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे एमजीएम अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीज को रिम्स रेफर कर दिया। उनलोगों ने 108 एंबुलेंस से संपर्क किया तो पता चला कि उसमें ऑक्सीजन ही नहीं है। कहा गया कि यदि वे खुद ऑक्सीजन की व्यवस्था कर लें तो 108 एंबुलेंस में मरीज को भेजा जा सकता है। इस स्थिति में परिजनों को निजी एंबुलेंस लेकर जाना पड़ा। यह ऐसी पहली घटना नहीं है, बल्कि बुधवार को भी इसी तरह की घटना हुई थी, जिसमें मरीज की हालत गंभीर थी और उसे रिम्स रेफर कर दिया गया था। 108 एंबुलेंस तो उपलब्ध थी, लेकिन उसमें भी ऑक्सीजन नहीं थी। ऐसे में मरीज के परिजनों ने अधीक्षक एवं उपाधीक्षक से गुहार लगाई, जिसके बाद उनलोगों ने अस्पताल को सिलेंडर दिया। इसके बाद मरीज को रिम्स भेजा गया। एमजीएम के मरीजों को रांची ले जाने के लिए 108 नंबर वाली दो एंबुलेंस की व्यवस्था है। वहीं, विभिन्न प्रखंडों में भी 108 नंबर वाली एंबुलेंस दी गई है।
अस्पताल से रोज रेफर होते हैं 5-6 मरीज
एमजीएम से रोज ऐसे 5-6 मरीजों को रेफर किया जाता है, जिनमें से 4-5 मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत होती है। 5 फरवरी से ऐसे मरीजों को निजी एंबुलेंस ही रिम्स जाना पड़ रहा है। पहले जब इन एंबुलेंस का संचालन जीवीके ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ लिमिटेड करती थी तो 108 एंबुलेंस में ऑक्सीजन की सुविधा होती थी। लेकिन पांच फरवरी से सम्मान फाउंडेशन को राज्य भर की 108 एंबुलेंस को चलाने का अधिकार मिल गया है। अबतक इस एजेंसी ने कोल्हान प्रमंडल की सभी 108 एंबुलेंस में ऑक्सीजन देने वाली पूर्वी सिंहभूम की एजेंसी से समझौता नहीं किया है। इस कारण किसी भी एंबुलेंस को ऑक्सीजन नहीं मिल रही है।
रांची से होता है 108 एंबुलेंस का संचालन
जानकारी हो कि 108 एंबुलेंस का संचालन रांची से होता है। किसी भी मरीज को जब 108 एंबुलेंस की जरूरत होती है तो 108 नंबर पर फोन करना पड़ता है। फोन रांची मुख्यालय में जाता है और वहीं से राज्य भर की एंबुलेंस को जाने का निर्देश दिया जाता है।
108 एंबुलेंस को ऑक्सीजन नहीं मिलने पर एमजीएम के उपाधीक्षक डॉ. नकुल चौधरी ने कहा कि एजेंसी पर अस्पताल प्रशासन का नियंत्रण नहीं है। इसलिए अस्पताल प्रबंधन कुछ नहीं कर सकता।
दो-तीन दिन में सभी जिलों की 108 नंबर एंबुलेंस के सिलेंडर में ऑक्सीजन की व्यवस्था करा ली जाएगी, ताकि मरीजों को परेशानी न हो।
-विवेश भारद्वाज, स्टेट ऑपरेशन हेड, सम्मान फाउंडेशन