नहीं रहे बहुमुखी प्रतिभा के धनी कॉमरेड रंगलाल उर्फ मास्टर दा, सैकड़ों लोगों ने जताया शोक
रंगलाल महतो (फाइल फोटो)।
पटमदा में सीपीआई के संस्थापक सदस्य थे 78 वर्षीय रंगलाल महतो
मजदूर हित में कर चुके हैं आंदोलन, 2 बार जा चुके हजारीबाग सेंट्रल जेल
Patamda : पटमदा के कुमीर गांव निवासी रहे सीपीआई कॉमरेड रंगलाल महतो (78) का शनिवार की रात करीब 1 बजे कांकीडीह स्थित लिटिल हॉट अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन की खबर मिलते ही पूरे क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई।
इस संबंध में गांव के प्रबोध कुमार महतो ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना की चपेट में आने से रंगलाल बाबू का स्वास्थ्य कमजोर हो गया था। शनिवार की सुबह अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।
रंगलाल बाबू ने बांग्लादेशी मूल के रेवती चटर्जी के सानिध्य में रहकर अन्याय के विरुद्ध आंदोलन करना सीखा। वह छात्र जीवन से ही राजनीति में आए थे तथा अन्याय के विरुद्ध आवाज बुलंद करने की हिम्मत रखते थे। वह हमेशा श्रमिकों के हितों में आंदोलन करते थे, यही वजह रही कि उन्हें दो बार हजारीबाग सेंट्रल जेल जाना पड़ा। प्रभावी सीपीआई नेता सत्येन विश्वास, टीकाराम माझी व तुलसी रजक के भी काफी करीबी माने जाते थे रंगलाल बाबू।
राजनीति के साथ-साथ बचपन से ही वे बांग्ला नाटक, घोड़ा नाच तथा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रुचि रखते थे। पटमदा, बोड़ाम, बांदोवान, मानबाजार, बोरो, केंदा व बलरामपुर आदि क्षेत्रों में आयोजित नाटक जगत में अस्ताद दा/ मास्टर दा के नाम से मशहूर थे। रंगलाल बाबू का पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन हेतु रविवार की सुबह 8 बजे पैतृक आवास कुमीर में रखा गया था। आवास परिसर में सीपीआई लोकल कमिटी के सचिव मनसाराम महतो सह सैकड़ों ग्रामीणों ने अंतिम दर्शन किया और श्रद्धासुमन अर्पित किए।
मौके पर शिक्षक प्रबोध कुमार महतो, रामपद महतो, श्रीमंत कुमार मिश्र, पत्रकार हिमांशु कुंभकार, मुखिया दीपक मुदी समेत सैकड़ों लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से आकस्मिक निधन पर शोक जताया। रंगलाल बाबू के असामयिक निधन से सांस्कृतिक तथा राजनैतिक जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।
रंगलाल बाबू चार भाइयों में से सबसे बड़े थे। मझले भाई परेश महतो की कुछ साल पहले कैंसर से मौत हो चुकी है। तीसरे गोराचंद महतो पेशे से डॉक्टर के साथ-साथ कुमीर स्थित अखिल भू- मंडलीय सर्व शिरोमणि मुनि समाज योगशिवीर के (मुनिराज) संचालक भी हैं। सबसे छोटे भाई विभूति भूषण महतो ट्यूशन शिक्षक के साथ कृषि कार्य करते हैं। वह अपने पीछे पत्नी के अलावा पांच पुत्रों का भरा पूरा परिवार छोड़ गए।