हेमंत मंत्रिमंडल में क्यों मिली योगेन्द्र प्रसाद को जगह, सीनियर होने के बावजूद क्यों नहीं हुई मथुरा की एंट्री, पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट…
मंत्री योगेन्द्र प्रसाद महतो व विधायक मथुरा प्रसाद महतो (फाइल फोटो)
Jamshedpur (Kalyan Kumar Gorai): गुरुवार की सुबह तक लगातार सस्पेंस बरकरार रखने के बाद दोपहर करीब साढ़े 12 बजे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया। झामुमो कोटे से पिछली सरकार में मंत्री रहे चाईबासा से विधायक दीपक बिरुआ, घाटशिला विधायक रामदास सोरेन व मधुपुर विधायक हफीजुल हसन अंसारी के अलावा 3 नए मंत्री के रूप में विशुनपुर विधायक चमरा लिंडा, गोमिया विधायक योगेन्द्र प्रसाद महतो व गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू शामिल हैं। कांग्रेस कोटे से पिछली सरकार में मंत्री रहे जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी व महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह के अलावा मांडर की विधायक शिल्पी नेहा तिर्की व छतरपुर विधायक राधाकृष्ण किशोर (एससी कोटे से) शामिल हैं जबकि राजद से गोड्डा विधायक संजय प्रसाद यादव को शामिल किया गया है। कुड़मी चेहरे के रूप में उत्तरी छोटानागपुर से आने वाले योगेन्द्र प्रसाद महतो को शामिल किया गया है जबकि उसी क्षेत्र के कुड़मी चेहरा वरिष्ठ विधायक और पूर्व में भू-राजस्व मंत्री रहे मथुरा महतो को शामिल नहीं किया जाना चर्चा का विषय रहा।
राजनीतिक विशेषज्ञ यह कयास लगा रहे थे कि शायद कुड़मी कोटे से मथुरा महतो को लाभ मिलेगा। लेकिन जानकारों की मानें तो मथुरा महतो को उनके दामाद व स्व टेकलाल बाबू के पुत्र और मांडू के विधायक रह चुके जयप्रकाश भाई पटेल की बगावत को बड़ी वजह मानी जा रही है। बताते हैं कि 2013-14 की सरकार में पेयजल व स्वच्छता मंत्री के रूप में जिम्मेदारी निभा चुके जयप्रकाश भाई पटेल ने 2019 में झामुमो से बगावत कर पार्टी छोड़ दी थी। बगावत का कारण यह था कि हजारीबाग से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बना चुके पटेल को हेमंत सोरेन ने न सिर्फ मना कर दिया था बल्कि तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार के समक्ष भी विरोध जताया था। हेमंत सोरेन ने डॉ. अजय कुमार चेतावनी दी थी कि वह झामुमो के विधायक को नहीं तोड़ें अन्यथा महागठबंधन की सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा। इसके बावजूद पटेल ने बगावती तेवर दिखाते हुए विधायक रहते ही भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर दी थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ पूरे राज्य में घूम-घूम कर लोकसभा चुनाव में हेमंत सोरेन के खिलाफ जहर उगला था। इसके बाद से ही हेमंत सोरेन लगातार पटेल के ससुर और टुंडी के विधायक मथुरा प्रसाद महतो के खिलाफ नाराज चल रहे हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव लड़ने की मंशा लिए एक बार फिर जयप्रकाश भाई पटेल 2024 में भाजपा से बगावत के बाद आखिरकार कांग्रेस में शामिल हो ही गए और हजारीबाग लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर करारी हार के बाद इंडिया गठबंधन के तहत मांडू से टिकट को तरस गए थे। क्योंकि 2019 के चुनाव में मांडू सीट पर गठबंधन के तहत झामुमो प्रत्याशी रामप्रकाश भाई पटेल (जयप्रकाश के बड़े भाई) ने चुनाव लड़ा था और तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार भी हेमंत सोरेन एक तीर से दो निशाना साधना चाह रहे थे। रामप्रकाश भाई पटेल को गठबंधन के तहत झामुमो का टिकट और जयप्रकाश को बेटिकट कर बगावत करने की सजा। अंतिम समय में हेमंत सोरेन की ओर से नरम रवैया अपनाने के बाद उन्हें विधानसभा का टिकट तो मिल गया लेकिन कांटे की टक्कर में महज 231 वोट से आजसू प्रत्याशी निर्मल महतो उर्फ तिवारी महतो से हार गए।
दूसरी ओर गोमिया से दूसरी बार विधायक बने योगेन्द्र प्रसाद महतो 2019 का चुनाव आजसू प्रत्याशी लम्बोदर महतो से हारने के बावजूद हेमंत सोरेन के चहेते व विश्वासपात्रों में शामिल रहे थे। यही वजह है कि 2019 में पूर्ण बहुमत की सरकार राज्य में बनने के बाद योगेन्द्र प्रसाद को राज्य सरकार के पिछड़ा आयोग का अध्यक्ष बनाया था और 2024 के चुनाव में दूसरी बार विधायक बनने के बाद ही कयास लग रहे थे कि अगर महिला व कुड़मी कोटे से अगर सविता महतो का नाम कटा तो योगेन्द्र प्रसाद को ही उसका लाभ मिल सकता है और वही हुआ भी।