विधवा पुनर्विवाह कानून ईश्वर चंद्र विद्यासागर की देन : पंचानन दास
Patamda: पटमदा डिग्री कॉलेज जाल्ला के सभागार में गुरुवार को ईश्वर चंद्र विद्यासागर की जन्म जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में पटमदा इंटर कॉलेज जाल्ला के पूर्व प्राचार्य सह समाजसेवी पंचानन दास उपस्थित हुए।
मुख्य अतिथि दास ने कहा कि ईश्वर चंद्र विद्यासागर उन्नीसवीं शताब्दी के बंगाल के प्रसिद्ध दार्शनिक, शिक्षाविद, समाज सुधारक, लेखक, अनुवादक, मुद्रक, प्रकाशक, उद्यमी और परोपकारी व्यक्ति थे। वे बंगाल के पुनर्जागरण के स्तंभों में से एक थे। उस समय हिन्दू समाज में विधवाओं की स्थिति बहुत ही चिंताजनक थी। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह के लिए लोकमत तैयार किया। उन्हीं के प्रयासों से 1856 में विधवा-पुनर्विवाह कानून पारित हुआ। उन्होंने अपने इकलौते पुत्र का विवाह एक विधवा से ही किया। उन्होंने बाल विवाह का भी विरोध किया। वे नारी शिक्षा के समर्थक थे। उनके प्रयास से ही कोलकाता एवं अन्य स्थानों में बहुत अधिक बालिका विद्यालयों की स्थापना हुई। उनके बचपन का नाम ईश्वर चन्द्र बन्द्योपाध्याय था। संस्कृत भाषा और दर्शन में अगाध पांडित्य के कारण विद्यार्थी जीवन में ही संस्कृत कॉलेज ने उन्हें ‘विद्यासागर’ की उपाधि प्रदान की थी। बांग्ला भाषा के गद्य को सरल एवं आधुनिक बनाने का उनका कार्य सदा याद किया जायेगा। उन्होंने बांग्ला लिपि के वर्णमाला को भी सरल एवं तर्कसम्मत बनाया। बांग्ला पढ़ाने के लिए उन्होंने सैकड़ों विद्यालय स्थापित किए तथा रात्रि पाठशालाओं की भी व्यवस्था की। उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयास किया। उन्होंने संस्कृत कॉलेज में पाश्चात्य चिन्तन का अध्ययन भी आरम्भ किया।
कार्यक्रम में प्रभारी प्राचार्य कृष्णपद महतो और व्याख्याता चन्द्रशेखर महतो ने भी विचार व्यक्त किया। इससे पूर्व डॉ. गीता चक्रवती ने स्वागत भाषण देकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। स्वागत गीत संतोषी और नृत्य नवमी, रेणुका और सुप्रिया ने प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का संचालन सुमन चांद और धन्यवाद ज्ञापन व्याख्याता विश्वनाथ महतो ने किया। कार्यक्रम में व्याख्याता अभिराम महतो, डॉ. गौतम गोराई, वी विनायक, श्रीकान्त माझी, सहला बानो, माधूरी, संगीता, सुभद्रा महतो व कॉलेज के छात्र छात्राएं और शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित थे।