सब्जियां हुईं सस्ती तो मंईयां सम्मान व पेंशन पर टिकी थी निगाहें, सरकार ने किया निराश, बड़ा सवाल- बिन “मनी” अब टुसू परब कैसे मनी ?
Patamda: सब्जियों की खेती के लिए प्रसिद्ध पटमदा क्षेत्र में पिछले करीब 15 दिनों पूर्व से ही फूलगोभी, बंदगोभी, टमाटर और बैगन जैसी प्रमुख सब्जियां सस्ती हो गईं। इससे किसानों की लागत पूंजी भी नहीं निकली। ऐसे में झारखंड का सबसे बड़ा त्योहार टुसू परब व मकर संक्रांति को लेकर प्रत्येक परिवारों में होने वाले खर्च जुटाना मुश्किल हो गया। हताश, निराश कृषि कार्य से जुड़े क्षेत्र के सैकड़ों परिवार ऐसे होंगे जिनके लिए परंपरा के मुताबिक नए वस्त्रों की खरीदारी का सपना अधूरा ही रह गया। ऐसे तो सब्जियों की खेती से होने वाली नुकसान की भरपाई दूसरी आमदनी से होना मुश्किल है लेकिन इसके बावजूद जो उम्मीद झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना, राष्ट्रीय वृद्धावस्था व विधवा पेंशन योजना एवं सर्वजन पेंशन योजना को लेकर थी वह भी खत्म हो गई।
क्योंकि सोमवार तक जब खाते में राशि नहीं पहुंची तो लोग निराश होकर त्योहार के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की सोचने लगे। लेकिन पिछले करीब 3 माह से ग्रामीण क्षेत्रों में आमदनी के अन्य जो भी स्रोत थे उसमें भी आर्थिक मंदी छाई हुई है। रही सही कसर सरकार की धान अधिप्राप्ति योजना ने भी पूरी कर दी। यहां धान की खरीदारी के लिए केंद्र तो खुले मगर राइस मिल मालिकों द्वारा लैंपसों से धान का उठाव नहीं किए जाने से लैंपस के संचालक धान की खरीदारी नहीं कर रहे हैं। इस कारण क्षेत्र में सबसे अधिक धान की खेती करने वाले किसानों को भी हर ओर से निराशा ही हाथ लग रही है। यही वजह है कि सोमवार को पटमदा बाजार में बांउड़ी हाट में खरीद-बिक्री उत्साहजनक नहीं रही।
बेलटांड़ बाजार में एक होटल पर कारीगर का काम करने वाले कालू महतो ने बताया कि उसकी मां का विधवा पेंशन पिछले करीब 6 माह से बंद है और पत्नी को मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान की राशि भी नहीं मिली है। उनके समक्ष बड़ी समस्या है कि परब का खर्चा कैसे निकालेंगे? क्योंकि उन्हें जो मजदूरी मिलती है उसमें सिर्फ घर का ही खर्चा चलता है।