पहली बार 50 परिवारों के लोग नहीं मनाएंगे बांदना पर्व व काली पूजा, जानें क्यों……
Patamda: पटमदा प्रखंड की महुलबना पंचायत अंतर्गत सुंदरपुर व धाधकीडीह गांव के काशीडीह टोला में पिछले 4 दिनों से जारी डायरिया की बीमारी ने डेढ़ दर्जन से अधिक परिवारों को अपनी चपेट में ले लिया है। मंगलवार को नए 7 मरीजों के साथ ही अब तक कुल मरीजों की संख्या बढ़कर 52 हो गई है। जबकि 26 अक्तूबर को अस्पताल में भर्ती कराए गए मरीजों में से एक व्यक्ति को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है। जबकि गंभीर अवस्था में मुनिया सिंह (45) व निरंजन सिंह की 7 वर्षीय एक बेटी को सुबह में माचा स्थित सीएचसी अस्पताल में प्राथमिक चिकित्सा के बाद एमजीएम अस्पताल रेफर कर दिया गया है। वहीं देर शाम को शांतिराम महतो (40), अलका रानी महतो (60), झानू वाला महतो (65) को माचा अस्पताल में भर्ती कराया गया है जबकि दो मरीज अंबिका महतो (45) व बबिता महतो (50) का घर पर ही इलाज चल रहा है।
ग्रामीणों के मुताबिक काशीडीह टोला में कुल 70 परिवार हैं जिनमें से 50 परिवार के लोग इस वर्ष कार्तिक अमावस्या के मौके पर काली पूजा, बांदना पर्व व सोहराय नहीं मनाएंगे बल्कि एक माह बाद आने वाले अमावस्या को पूजा कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। गांव के शांतिराम महतो ने बताया कि गांव में बीमारी फैली हुई है और अभी तक करीब 50 लोग अस्पताल में ही भर्ती हैं इसलिए त्योहार मनाना संभव नहीं है। 20 परिवारों के लोग इसलिए पूजा करेंगे क्योंकि उनके घरों के बीच की दूरी करीब 250 मीटर है वहां कोई दिक्कत नहीं है। चूंकि इस पूजा में मुर्गे की बलि चढ़ाने व मांस पीठा आदि बनाने की परंपरा है इसलिए यह निर्णय ग्रामीणों की ओर से लिया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि उनके यहां पेयजल की किल्लत है लेकिन उनकी सुध लेने अब तक प्रखंड या अंचल कार्यालय के कोई भी पदाधिकारी या कर्मचारी नहीं पहुंचे हैं इसलिए उनकी परेशानी बढ़ गई है।