जुगसलाई में सभी को कैंची पर ही जीत का भरोसा, क्या है इसके असली मायने, अंदर पढ़ें….
Patamda: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में 13 नवंबर को संपन्न जुगसलाई विधानसभा का चुनाव में कांटे का मुकाबला बताया जा रहा है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या करीब साढ़े 3 लाख है जबकि यहां करीब ढाई लाख लोगों ने मतदान किया है। पटमदा, बोड़ाम और जिला परिषद क्षेत्र -04 समेत 35 पंचायतों की अगर बात करें तो मुकाबला त्रिकोणीय हुआ है। जिसमें झामुमो, आजसू और जेएलकेएम के बीच कांटे का मुकाबला बताया जा रहा है। वहीं जुगसलाई नगरपालिका क्षेत्र समेत शेष इलाकों में आजसू और झामुमो के बीच ही मुख्य मुकाबला बताया जा रहा है। वैसे तो तीनों प्रमुख पार्टियों के समर्थक अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत के दावे कर रहे हैं लेकिन इसमें कितना दम या कितनी सच्चाई है वह तो 23 नवंबर को मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा। इसके लिए सिर्फ प्रत्याशी और उनके समर्थक ही नहीं बल्कि राजनीति में रुचि रखने वाली क्षेत्र की जनता और अधिकारी भी बेसब्री से 23 नवंबर का इंतजार कर रहे हैं। भले ही अभी बड़ा दिन यानी 25 दिसंबर को एक माह से अधिक समय बचा है लेकिन चुनाव परिणाम जानने को आतुर लोगों के लिए इस बार बड़ा दिन शुरू हो चुका है।
यहां तीनों पार्टियों के समर्थकों का जो तर्क है उसे हम प्रस्तुत कर रहे हैं: आजसू पार्टी के समर्थकों का कहना है कि बोड़ाम व पटमदा में झामुमो (इंडिया गठबंधन) के प्रत्याशी मंगल कालिंदी तीसरे नंबर पर रहेंगे क्योंकि झामुमो के बागी व निर्दलीय प्रत्याशी बिप्लव भुइयां और जुगल किशोर मुखी ने झामुमो के परंपरागत वोट बैंक में काफी सेंधमारी की है यानी कि उसपर खूब कैंची चली है। अपने परंपरागत वोटरों को एकजुट रखने में विफल रहने के कारण झामुमो को नुकसान पहुंचा है।
झामुमो समर्थकों का तर्क है कि जेएलकेएम प्रत्याशी विनोद स्वांसी का चुनाव चिन्ह ही कैंची है और आजसू (एनडीए गठबंधन) प्रत्याशी रामचंद्र सहिस के परंपरागत वोट बैंक में तेज धार वाली कैंची चलने व भाजपा के बागी व निर्दलीय प्रत्याशी विमल बैठा द्वारा भाजपा के कैडर वोटों में सेंधमारी करने से 35 पंचायतों में आजसू काफी कमजोर हुई है और वह तीसरे नंबर पर होगी। झामुमो प्रत्याशी मंगल कालिंदी की टक्कर जेएलकेएम प्रत्याशी विनोद स्वांसी के साथ होगी।
जेएलकेएम के समर्थकों का तर्क है कि बोड़ाम में आयोजित पार्टी सुप्रीमो जयराम महतो की जनसभा के बाद माहौल तेजी से उनके पक्ष में हुआ और उनके प्रत्याशी विनोद स्वांसी के समर्थन में आंधी चली। समर्थकों का दावा है कि पूरे विधानसभा क्षेत्र के 80 हजार कुड़मी वोटर, 15 हजार पान, तांती, स्वांसी समाज के वोटरों के अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक व शिक्षित बेरोजगार युवा वर्ग के वोटरों का थोक समर्थन मिलने से उनकी जीत पक्की है। जेएलकेएम समर्थक कहते हैं कि उनकी कैंची (चुनाव चिन्ह) की धार इतनी तेज थी कि एनडीए और इंडिया दोनों ही गठबंधन के प्रत्याशियों को नुकसान हुआ है। कुल मिलाकर देखा जाय तो सभी प्रमुख दलों के समर्थकों का यही कहना है कि उनका प्रत्याशी ही जीत रहा है।