कोंकाधासा के आदिवासियों की समस्याएं जानने बाइक से पहाड़ी पर पहुंचे आईटीडीए निदेशक, 2 माह के अंदर बिजली कनेक्शन पहुंचाने का आश्वासन
Patamda: आजादी के 77 वर्षों के बाद भी दलमा की पहाड़ी पर स्थित बोड़ाम प्रखंड के कोंकाधासा गांव में बिजली और सड़क की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है। यहां निवास करने वाले आदिवासी भूमिज जाति के करीब दो दर्जन परिवार को अधिकांश सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। शुक्रवार को पूर्वी सिंहभूम जिले के आईटीडीए के परियोजना निदेशक दीपांकर चौधरी ने गांव पहुंचकर वस्तुस्थिति की जानकारी ली। ग्रामीणों की मांग पर निदेशक ने बताया कि गांव में बिजली पहुंचाने का कार्य तीव्र गति से चल रहा है, जगह-जगह पोल गिर चुके हैं, दो महीने के भीतर बिजली की सुविधा बहाल करने का जिला प्रशासन का प्रयास है। वहीं सड़क को लेकर उन्होंने बताया कि उपायुक्त के संज्ञान में है, इस पर भी जल्द यथोचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
दरअसल उपायुक्त अनन्य मित्तल के निर्देशानुसार आईटीडीए के परियोजना निदेशक दीपांकर चौधरी दलमा पहुंचे थे। यह गांव बोड़ाम प्रखंड अंतर्गत सुदूर बोंटा पंचायत अंतर्गत आता है जो घोर नक्सल प्रभावित भी है। निदेशक गांव में सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की वस्तुस्थिति से अवगत हुए साथ ही छूटे हुए पात्र लोगों को योजनाओं का लाभ लेने के लिए प्रेरित किया। वहीं मौके पर ही सर्वजन पेंशन योजना, झारखंड मुख्यमंत्री मंइयां सम्मान योजना, मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना, मनरेगा, कृषि, बागवानी व पशुपालन आदि योजनाओं के फॉर्म भी ग्रामीणों से भरवाए गए। गांव में किसी के पास चार चक्का नहीं होने के कारण पात्र लोगों को सीएमईजीपी का लाभ लेने के लिए प्रेरित किया गया ताकि आकस्मिक स्थिति में जरूरत पड़ने पर लोगों को आवागमन में आसानी हो। निरीक्षण के क्रम में परियोजना निदेशक द्वारा गांव में अवस्थित आंगनबाड़ी केंद्र व प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण किया गया। बच्चों के पठन-पाठन व उनकी उपस्थिति, शिक्षकों की उपस्थिति, मेन्यू अनुसार मिड डे मील मिल रहा है या नहीं इसकी जानकारी ली गई। उन्होंने पूरी व्यवस्था पर संतुष्टि व्यक्त की।
दौरे के क्रम में बोड़ाम बीडीओ किकू महतो, जेई अजय मंडल व सुशील बेसरा समेत अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद थे। गौरतलब हो कि दलमा में सालों भर हाथियों का डेरा होने व भय के कारण किसी भी पदाधिकारी व कर्मचारियों के लिए चाहकर भी कोंकाधासा गांव अकेले जाना संभव नहीं हो पाता है इसलिए वहां के लोगों को सरकार की हर योजना के बारे में जानकारी भी नहीं मिल पाती है।