आस्था ऐसी कि लाखों खर्च कर बनवाया मंदिर, पेंशन की राशि से प्रतिवर्ष हरिनाम संकीर्तन पर करते हैं डेढ़ लाख तक का खर्च
विष्णुपद गोराई
Jamshedpur : कलयुग में हरिनाम संकीर्तन के जाप को उद्धार का मार्ग बताया गया है। साथ ही हरिनाम के श्रवण मात्र से भी पापों से मुक्ति मिलने का दावा किया जाता है। यही वजह है कि गौरांग महाप्रभु की इस धरती पर प्रतिवर्ष अधिकांश गांवों में बने हरि मंदिर व राधा कृष्ण मंदिर में हरिनाम संकीर्तन या राधानाम संकीर्तन का आयोजन भव्य तरीके से होता है। कोल्हान प्रमंडल में अधिकांश जगहों पर सार्वजनिक तौर पर भव्य आयोजन होता है तो कहीं-कहीं भक्तों द्वारा व्यक्तिगत भी आयोजन किया जाता है। पूर्वी सिंहभूम जिले के बोड़ाम प्रखंड स्थित लावजोड़ा गांव की प्रसिद्धि श्री श्री हाथीखेदा ठाकुर के नाम से तो पहले से है ही। अब इस गांव को क्षेत्र के लोग एक अन्य कारण से भी जानने लगे हैं।
लावजोड़ा गांव स्थित हरि मंदिर।
भगवान के प्रति गहरी आस्था रखने वाले भक्त विष्णुपद गोराई ने प्राथमिक शिक्षक की सेवा से रिटायर होने के बाद मिली एकमुश्त राशि से लाखों रुपए खर्च की और करवा दिया हरि मंदिर का निर्माण। सिर्फ यही नहीं करीब दो दशक से पेंशन की राशि से प्रतिवर्ष एक से डेढ़ लाख रुपए तक का खर्च करते हुए हरिनाम संकीर्तन का आयोजन करते हैं। इसमें उनके पुत्रों संजय गोराई, डॉ. गौतम गोराई समेत परिवार के सभी सदस्यों के अलावा ग्राम प्रधान सह हाथीखेदा मंदिर के मुख्य पुजारी भी सहयोग करते हैं। इस वर्ष 20 मार्च को सुबह 72 घंटे का अखंड हरिनाम संकीर्तन शुरू हो गया है और 23 मार्च की सुबह संपन्न होगा। जबकि गंधाधिवास के उपलक्ष्य में रात्रि 9 बजे से पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले से आए प्रसिद्ध कलाकार के द्वारा लीला कीर्तन प्रस्तुत किया गया। पुत्र संजय गोराई ने बताते हैं कि उनके पिताजी शुरू से ही अपनी दिनचर्या को एक समान रखते हुए योगासन, पूजा- पाठ और धर्मग्रंथों का अध्ययन एवं सत्संग आदि में अपना समय व्यतीत करते हैं।